पं. जगदीश प्रसाद अवस्थी ‘प्रेमी’

पं. जगदीश प्रसाद अवस्थी 'प्रेमी'

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पं. जगदीश प्रसाद अवस्थी ‘प्रेमी’
जन्म: 15 अगस्त 1925
मृत्यु: 10 मार्च 2005 (आयु 79)
जन्म स्थान: कानपुर, उत्तर प्रदेश, भारत
पेशा: शिक्षक, साहित्यकार, कवि, संपादक
राष्ट्रीयता: भारतीय
शिक्षा: एम.ए. (हिंदी)
अल्मा मेटर: कानपुर विश्वविद्यालय (अब छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय)
भाषा: हिंदी, ब्रजभाषा, अवधी
विधा: कविता, निबंध, आलोचना, संस्मरण, कहानी
शैली: गीत, ग़ज़ल, मुक्तछंद, हास्य-व्यंग्य
उल्लेखनीय कार्य:
1. ‘प्रेमी की कविताएँ’ (काव्य संग्रह)
2. ‘साहित्य चिंतन’ (निबंध व आलोचना)
3. ब्रजभाषा और बुंदेली साहित्य का संवर्धन
4. कई साहित्यिक पत्रिकाओं का संपादन |
पुरस्कार:
1. उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान से सम्मान
2. विभिन्न साहित्यिक संस्थाओं द्वारा अलंकृत |

पं. जगदीश प्रसाद अवस्थी ‘प्रेमी’ (जन्म: 15 अगस्त 1925; मृत्यु: 10 मार्च 2005) एक प्रमुख भारतीय शिक्षाविद्, साहित्यकार, कवि और संपादक थे। उन्हें मुख्य रूप से हिंदी साहित्य में उनके बहुमुखी योगदान, विशेषकर उनकी कविताओं, निबंधों और ब्रजभाषा तथा बुंदेली जैसी क्षेत्रीय भाषाओं के संवर्धन के लिए जाना जाता है। कानपुर, उत्तर प्रदेश में जन्में ‘प्रेमी’ जी ने अपना जीवन साहित्य साधना और ज्ञान के प्रसार को समर्पित कर दिया। उनका साहित्य जीवन के यथार्थ, प्रेम, प्रकृति और सामाजिक सरोकारों का दर्पण है, जिसे उन्होंने सरल और हृदयस्पर्शी भाषा में प्रस्तुत किया।


प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

पं. जगदीश प्रसाद अवस्थी ‘प्रेमी’ का जन्म 15 अगस्त 1925 को उत्तर प्रदेश के कानपुर शहर में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनका जन्म ऐसे समय हुआ जब भारत ब्रिटिश शासन से स्वतंत्रता के लिए संघर्ष कर रहा था, और यह परिवेश उनके राष्ट्रवादी विचारों तथा सामाजिक चेतना को आकार देने में सहायक रहा।

उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा कानपुर में ही प्राप्त की और बचपन से ही साहित्य तथा भाषा के प्रति गहरी रुचि प्रदर्शित की। उनकी उच्च शिक्षा भी कानपुर में ही हुई, जहाँ उन्होंने कानपुर विश्वविद्यालय (जो अब छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय के नाम से जाना जाता है) से हिंदी साहित्य में एम.ए. की डिग्री प्राप्त की। इस दौरान उन्हें कई प्रतिष्ठित विद्वानों का सान्निध्य मिला, जिसने उनकी साहित्यिक प्रतिभा को निखारा।


एक साक्षात्कार में उन्होंने अपने शुरुआती दिनों को याद करते हुए कहा था:

“बचपन में शब्दों से दोस्ती हो गई थी, फिर कब वे जीवन का सार बन गए, पता ही नहीं चला। कविता मेरी साँस थी और साहित्य मेरा संसार।”


अकादमिक और पेशेवर यात्रा

पं. जगदीश प्रसाद अवस्थी ‘प्रेमी’ ने अपना पेशेवर जीवन एक शिक्षक के रूप में शुरू किया। वे कई दशकों तक विभिन्न शिक्षण संस्थानों में हिंदी साहित्य का अध्यापन करते रहे। एक शिक्षक के रूप में, वे न केवल अपने छात्रों को किताबी ज्ञान देते थे, बल्कि उनमें साहित्यिक अभिरुचि, नैतिक मूल्य और रचनात्मकता भी विकसित करते थे। उनकी कक्षाएँ छात्रों के लिए प्रेरणा का स्रोत थीं।

अपने शिक्षण के साथ-साथ, वे साहित्यिक गतिविधियों में भी सक्रिय रूप से संलग्न रहे। उन्होंने विभिन्न साहित्यिक पत्रिकाओं में लेखन और संपादन का कार्य किया, जिससे उन्हें साहित्य जगत में एक पहचान मिली। उन्होंने अपने लेखन के माध्यम से तत्कालीन सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर भी टिप्पणी की।


साहित्यिक योगदान

पं. जगदीश प्रसाद अवस्थी 'प्रेमी' लेखक VIKRAM PRATAP VEDMATA EDUCATION

‘प्रेमी’ जी का साहित्यिक योगदान बहुआयामी है। उन्होंने कविता, निबंध, आलोचना, संस्मरण और कहानी जैसी हिंदी साहित्य की विभिन्न विधाओं में अपनी कलम चलाई। उनकी रचनाओं में प्रेम, प्रकृति, राष्ट्रीयता, सामाजिक विद्रूपताएँ और मानवीय संबंध प्रमुखता से उभरते हैं।

  • कविता: ‘प्रेमी’ जी मुख्य रूप से एक कवि के रूप में जाने जाते हैं। उनकी कविताओं में गीत, ग़ज़ल, मुक्तछंद और कभी-कभी हास्य-व्यंग्य का भी पुट मिलता है। उनकी भाषा सरल, सुबोध और भावनाओं से ओतप्रोत होती थी। उनके प्रमुख काव्य संग्रहों में ‘प्रेमी की कविताएँ’ विशेष रूप से उल्लेखनीय है।“कविता वो सावन है जो मन की धरती को सींचता है, और शब्दों के बीज बोकर नए विचारों के अंकुर उगाता है।”एक कवि सम्मेलन में
  • निबंध और आलोचना: उन्होंने कई निबंध और आलोचनात्मक लेख भी लिखे, जो ‘साहित्य चिंतन’ जैसे संग्रहों में संकलित हैं। इनमें उन्होंने विभिन्न साहित्यिक प्रवृत्तियों, कवियों और समकालीन मुद्दों पर अपने गहन विचार प्रस्तुत किए।
  • क्षेत्रीय भाषाओं का संवर्धन: ‘प्रेमी’ जी ने विशेष रूप से ब्रजभाषा और बुंदेली जैसी क्षेत्रीय भाषाओं के साहित्य के संरक्षण और संवर्धन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने इन भाषाओं में भी कुछ रचनाएँ कीं और उनके महत्व पर प्रकाश डाला।
  • पत्रकारिता और संपादन: वे कई साहित्यिक पत्रिकाओं से जुड़े रहे, जिनमें से कुछ का उन्होंने संपादन भी किया। इस भूमिका ने उन्हें नए लेखकों को मंच प्रदान करने और हिंदी साहित्य के प्रचार-प्रसार में मदद की।

सामाजिक और सांस्कृतिक सरोकार

एक संवेदनशील साहित्यकार होने के नाते, पं. जगदीश प्रसाद अवस्थी ‘प्रेमी’ के सामाजिक सरोकार भी गहरे थे। वे अपने लेखन और सार्वजनिक जीवन के माध्यम से समाज में नैतिक मूल्यों को बढ़ावा देने और सामाजिक कुरीतियों पर प्रहार करने का प्रयास करते थे।

  • राष्ट्रीय चेतना: उनका जन्म स्वतंत्रता पूर्व काल में हुआ था, इसलिए उनकी कई कविताओं और लेखों में राष्ट्रीय भावना और देशभक्ति का स्पष्ट प्रभाव देखा जा सकता है।
  • मानवीय मूल्य: उन्होंने अपनी रचनाओं में प्रेम, सौहार्द, सहिष्णुता और मानवीय गरिमा जैसे मूल्यों को प्रमुखता दी। वे समाज में समरसता और भाईचारे के प्रबल समर्थक थे।
  • साहित्यिक गोष्ठियाँ: वे कानपुर और आसपास के क्षेत्रों में आयोजित होने वाली साहित्यिक गोष्ठियों और कवि सम्मेलनों में सक्रिय रूप से भाग लेते थे, जहाँ वे युवा प्रतिभाओं को प्रोत्साहित करते थे।

उन्होंने एक बार कहा था:

“समाज को बदलना है तो पहले मन को बदलो, और मन को बदलने का सबसे शक्तिशाली हथियार साहित्य है।”एक साहित्यिक संगोष्ठी में


मृत्यु और विरासत

पं. जगदीश प्रसाद अवस्थी ‘प्रेमी’ का निधन 10 मार्च 2005 को 79 वर्ष की आयु में हुआ। उनकी मृत्यु से हिंदी साहित्य जगत ने एक समर्पित साधक और एक प्रेरणादायक शिक्षक खो दिया।

उनकी विरासत उनके छात्रों में, उनकी रचनाओं में और उन साहित्यिक परंपराओं में जीवित है जिन्हें उन्होंने पोषित किया। ‘प्रेमी’ जी को उनकी सरल, सहज और मानवीय संवेदनाओं से भरी कविताओं के लिए हमेशा याद किया जाएगा। उनका जीवन उन साहित्यकारों के लिए एक उदाहरण है जिन्होंने बिना किसी बड़े प्रचार के, चुपचाप और निरंतर साहित्य की सेवा की और समाज को समृद्ध किया।


पुरस्कार और सम्मान

पं. जगदीश प्रसाद अवस्थी ‘प्रेमी’ को उनके साहित्यिक योगदान के लिए विभिन्न संस्थाओं द्वारा सम्मानित किया गया।

  • उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान पुरस्कार: उन्हें उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान द्वारा हिंदी साहित्य में उनके योगदान के लिए कई बार सम्मानित किया गया।
  • अन्य सम्मान: विभिन्न स्थानीय और क्षेत्रीय साहित्यिक संस्थाओं ने उन्हें उनके लेखन और साहित्यिक सेवाओं के लिए अलंकृत किया।

संदर्भ

  1. व्यक्तिगत संग्रह: पं. जगदीश प्रसाद अवस्थी ‘प्रेमी’ के परिवार या उनके साहित्य से जुड़े व्यक्तियों के निजी अभिलेख और पांडुलिपियाँ।
  2. साहित्यिक पत्रिकाएँ: विभिन्न हिंदी साहित्यिक पत्रिकाओं में प्रकाशित उनके लेख, कविताएँ और उनके साहित्य पर लिखी गई समीक्षाएँ (जैसे: [पत्रिका का नाम], [अंक/वर्ष])।
  3. समाचार पत्र: कानपुर और उत्तर प्रदेश के स्थानीय तथा राष्ट्रीय समाचार पत्रों में प्रकाशित उनके जीवन, साहित्य और सम्मानों से संबंधित लेख (जैसे: [अख़बार का नाम], [तिथि])।
  4. विश्वविद्यालय अभिलेख: कानपुर विश्वविद्यालय (छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय) के अकादमिक रिकॉर्ड जहाँ उन्होंने शिक्षा प्राप्त की।
  5. संपादकीय नोट्स: उनके द्वारा संपादित पत्रिकाओं या उनके साहित्य पर लिखी गई पुस्तकों की भूमिकाएँ और संपादकीय टिप्पणियाँ।
  6. साहित्यिक कोश: हिंदी साहित्य से संबंधित विभिन्न कोश और विश्वकोश, जिनमें उनका उल्लेख हो।
  7. स्मृति ग्रंथ: उनके निधन के उपरांत प्रकाशित कोई स्मृति ग्रंथ या विशेष अंक।

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By विक्रम प्रताप

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