आनुवंशिक कूट का अनावरण: प्रोटीन संश्लेषण की प्रक्रिया – अनुवादन (Translation)

अनुवादन आनुवंशिक कूट : प्रतिलेखन प्रक्रिया के चरण: आरंभन, दीर्घीकरण, समापन, हिंदी में।

आनुवंशिक कूट का अनावरण: प्रोटीन संश्लेषण की प्रक्रिया – अनुवादन (Translation)


जीवित कोशिकाओं के भीतर, जीवन की निरंतरता और कार्यों को सुनिश्चित करने वाली एक असाधारण प्रक्रिया होती है: अनुवादन (Translation)। यह वह महत्वपूर्ण चरण है जहाँ आनुवंशिक जानकारी, जो मैसेंजर RNA (mRNA) के रूप में मौजूद होती है, को कार्यात्मक प्रोटीन में परिवर्तित किया जाता है। प्रोटीन, जैसा कि हम जानते हैं, कोशिका के सभी प्रमुख कार्यों के लिए आवश्यक हैं, एंजाइम के रूप में रासायनिक प्रतिक्रियाओं को उत्प्रेरित करने से लेकर संरचनात्मक समर्थन प्रदान करने और संकेतों का संचार करने तक। यह लेख अनुवादन की जटिल प्रक्रिया, इसके अंतर्निहित आनुवंशिक कूट और इसके जैविक महत्व पर विस्तृत प्रकाश डालता है।


आनुवंशिक कूट (Genetic Code): जीवन की सार्वभौमिक भाषा

अनुवादन की प्रक्रिया को समझने के लिए, सबसे पहले उस “भाषा” को समझना महत्वपूर्ण है जिसमें आनुवंशिक जानकारी लिखी जाती है – आनुवंशिक कूट (Genetic Code)। यह नियमों का एक समूह है जो mRNA पर न्यूक्लियोटाइड अनुक्रमों और प्रोटीन में अमीनो एसिड अनुक्रमों के बीच संबंध स्थापित करता है।

आनुवंशिक कूट की प्रमुख विशेषताएँ इस प्रकार हैं:

  1. त्रिक कूट (Triplet Code): प्रत्येक अमीनो एसिड को mRNA पर तीन न्यूक्लियोटाइड के एक अनुक्रम द्वारा कोडित किया जाता है। इन तीन-न्यूक्लियोटाइड इकाइयों को कोडॉन (Codon) कहा जाता है।
  2. अपहासित (Degenerate): एक ही अमीनो एसिड को अक्सर एक से अधिक कोडॉन द्वारा कोडित किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, ल्यूसीन के लिए छह अलग-अलग कोडॉन होते हैं। यह “अपहास” उत्परिवर्तन के संभावित हानिकारक प्रभावों को कम करने में मदद करता है, क्योंकि न्यूक्लियोटाइड में एक बिंदु परिवर्तन हमेशा अमीनो एसिड अनुक्रम को नहीं बदलेगा।
  3. असंबद्ध (Non-overlapping): कोडॉन एक-दूसरे पर अतिव्यापी नहीं होते हैं। mRNA अनुक्रम को लगातार तीन न्यूक्लियोटाइड के समूहों में पढ़ा जाता है, और प्रत्येक न्यूक्लियोटाइड केवल एक कोडॉन का हिस्सा होता है।
  4. विराम-रहित (Comma-less): कोडॉनों के बीच कोई रिक्त स्थान या “विराम” नहीं होता है। वे लगातार एक के बाद एक पढ़े जाते हैं।
  5. असंदिग्ध (Unambiguous): प्रत्येक विशिष्ट कोडॉन केवल एक विशिष्ट अमीनो एसिड को कोड करता है। कोई भी कोडॉन एक से अधिक अमीनो एसिड को कोड नहीं कर सकता।
  6. सार्वभौमिक (Universal): आनुवंशिक कूट लगभग सभी ज्ञात जीवित जीवों में सार्वभौमिक है, जिसका अर्थ है कि एक ही कोडॉन बैक्टीरिया से लेकर मनुष्यों तक सभी में एक ही अमीनो एसिड को कोड करता है। कुछ छोटे अपवाद माइटोकॉन्ड्रिया और कुछ सूक्ष्मजीवों में पाए जाते हैं, लेकिन सामान्य नियम इसकी सार्वभौमिकता को दर्शाता है।
  7. प्रारंभिक कोडॉन (Start Codon): AUG कोडॉन अधिकांशतः अनुवादन की शुरुआत को इंगित करता है और मेथियोनीन (Methionine) अमीनो एसिड को कोड करता है। यह प्रोटीन संश्लेषण के लिए एक महत्वपूर्ण “शुरुआती बिंदु” के रूप में कार्य करता है।
  8. समापन कोडॉन (Stop Codons): तीन कोडॉन (UAA, UAG, UGA) किसी भी अमीनो एसिड को कोड नहीं करते हैं और अनुवादन प्रक्रिया के अंत का संकेत देते हैं। इन्हें “नॉनसेंस कोडॉन” भी कहा जाता है क्योंकि वे प्रोटीन श्रृंखला के समापन का कारण बनते हैं।

सारणी 1: आनुवंशिक कूट तालिका (mRNA कोडॉन)

पहला आधारदूसरा आधार (U)दूसरा आधार (C)दूसरा आधार (A)दूसरा आधार (G)तीसरा आधार
UUUU (Phe)UCU (Ser)UAU (Tyr)UGU (Cys)U
UUC (Phe)UCC (Ser)UAC (Tyr)UGC (Cys)C
UUA (Leu)UCA (Ser)UAA (Stop)UGA (Stop)A
UUG (Leu)UCG (Ser)UAG (Stop)UGG (Trp)G
CCUU (Leu)CCU (Pro)1CAU (His)2CGU (Arg)3U4
CUC (Leu)5CCC (Pro)6CAC (His)7CGC (Arg)8C9
CUA (Leu)10CCA (Pro)11CAA (Gln)12CGA (Arg)13A14
CUG (Leu)15CCG (Pro)16CAG (Gln)17CGG (Arg)18G19
A20AUU (Ile)21ACU (Thr)22AAU (Asn)23AGU (Ser)24U25
AUC (Ile)26ACC (Thr)27AAC (Asn)28AGC (Ser)29C30
AUA (Ile)31ACA (Thr)32AAA (Lys)33AGA (Arg)34A35
AUG36 (Met/Start)ACG (Thr)AAG (Lys)AGG (Arg)G
GGUU (Val)GCU (Ala)GAU (Asp)GGU (Gly)U
GUC (Val)GCC (Ala)GAC (Asp)GGC (Gly)C
GUA (Val)GCA (Ala)GAA (Glu)GGA (Gly)A
GUG (Val)GCG (Ala)GAG (Glu)GGG (Gly)G

कोष्ठक में दिए गए संक्षिप्त नाम अमीनो एसिड के हैं।


अनुवादन की प्रक्रिया के चरण: एक आणविक नृत्य

अनुवादन एक अत्यंत समन्वित और ऊर्जा-निर्भर प्रक्रिया है जिसमें mRNA, राइबोसोम (प्रोटीन संश्लेषण की मशीनरी), ट्रांसफर RNA (tRNA) अणु, और विभिन्न प्रोटीन कारक व एंजाइम शामिल होते हैं। इसे तीन मुख्य चरणों में विभाजित किया जा सकता है: आरंभन, दीर्घीकरण और समापन।

1. आरंभन (Initiation)

आनुवंशिक कूट अनुवादन

अनुवादन की शुरुआत में, सभी आवश्यक घटक एक साथ आते हैं ताकि प्रोटीन संश्लेषण के लिए एक स्थिर और कार्यात्मक इकाई बन सके।

  • घटकों का संयोजन: इस चरण में, राइबोसोम का छोटा सबयूनिट (प्रोकैरियोट्स में 30S, यूकैरियोट्स में 40S), mRNA अणु, पहला tRNA अणु (जिसे आरंभन tRNA कहा जाता है, जो मेथियोनीन, या प्रोकैरियोट्स में फॉर्मिलमेथियोनीन वहन करता है), और कई आरंभन कारक (Initiation Factors – IFs) एक जटिल बनाते हैं।
  • AUG कोडॉन की पहचान: छोटा राइबोसोमल सबयूनिट mRNA पर प्रारंभिक कोडॉन (AUG) की पहचान करता है, जो अनुवादन की शुरुआत का संकेत देता है।
    • यूकैरियोट्स में: छोटा सबयूनिट mRNA की 5′ कैप से जुड़ता है और AUG कोडॉन तक स्कैन करता है।
    • प्रोकैरियोट्स में: राइबोसोम शिइन-डेलगार्नो अनुक्रम (Shine-Dalgarno sequence) नामक एक विशिष्ट अनुक्रम से जुड़ता है जो AUG कोडॉन से ठीक पहले होता है। यह अनुक्रम राइबोसोम को सही फ्रेम में अनुवादन शुरू करने में मदद करता है।
  • पहला tRNA: आरंभन tRNA, जिसका एंटीकोडॉन AUG कोडॉन के पूरक होता है, प्रारंभिक कोडॉन से जुड़ता है।
  • बड़े सबयूनिट का जुड़ना: अंत में, राइबोसोम का बड़ा सबयूनिट (प्रोकैरियोट्स में 50S, यूकैरियोट्स में 60S) छोटे सबयूनिट और आरंभन tRNA के साथ जुड़ जाता है, जिससे एक पूर्ण राइबोसोमल कॉम्प्लेक्स बनता है। इस राइबोसोम में तीन कार्यात्मक साइटें होती हैं:
    • A (Aminoacyl) साइट: आने वाले अमीनोएसिल-tRNA के लिए।
    • P (Peptidyl) साइट: बढ़ती हुई पॉलीपेप्टाइड श्रृंखला को वहन करने वाले tRNA के लिए।
    • E (Exit) साइट: खाली tRNA के निकलने के लिए।आरंभ में, आरंभन tRNA P-साइट में स्थित होता है।

2. दीर्घीकरण (Elongation)

अनुवादन

दीर्घीकरण चरण में अमीनो एसिड को mRNA पर कोडॉन अनुक्रम के अनुसार एक-एक करके पॉलीपेप्टाइड श्रृंखला में जोड़ा जाता है। यह एक दोहराया जाने वाला चक्र है जिसमें तीन उप-चरण होते हैं:

  • कोडॉन पहचान (Codon Recognition): एक नया अमीनोएसिल-tRNA (जिस पर एक विशिष्ट अमीनो एसिड जुड़ा होता है) राइबोसोम की A-साइट में प्रवेश करता है। इस tRNA का एंटीकोडॉन A-साइट में वर्तमान mRNA कोडॉन का पूरक होता है। इस सटीक मिलान को सुनिश्चित करने में दीर्घीकरण कारक (Elongation Factors – EFs) महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
  • पेप्टाइड बंधन का निर्माण (Peptide Bond Formation): राइबोसोम के भीतर, P-साइट में tRNA पर मौजूद बढ़ती हुई पॉलीपेप्टाइड श्रृंखला और A-साइट में नए tRNA पर मौजूद अमीनो एसिड के बीच एक पेप्टाइड बंधन बनता है। यह प्रतिक्रिया राइबोसोम के बड़े सबयूनिट में मौजूद राइबोजाइम (ribozyme) गतिविधि (विशेष रूप से, पेप्टिडाइल ट्रांसफरेज गतिविधि) द्वारा उत्प्रेरित होती है। इस प्रक्रिया में, पॉलीपेप्टाइड श्रृंखला P-साइट से A-साइट में स्थानांतरित हो जाती है, जो अब नए अमीनो एसिड से जुड़ जाती है।
  • स्थानांतरण (Translocation): पेप्टाइड बंधन बनने के बाद, राइबोसोम mRNA पर एक कोडॉन आगे (5′ से 3′ दिशा में) बढ़ता है। यह गति दीर्घीकरण कारकों द्वारा सुगम होती है और इसके परिणामस्वरूप tRNA अणु राइबोसोम की साइटों के बीच शिफ्ट होते हैं:
    • A-साइट में अब पॉलीपेप्टाइड युक्त tRNA P-साइट में चला जाता है।
    • P-साइट में मौजूद खाली tRNA (जिसने अपना अमीनो एसिड दे दिया है) E-साइट (Exit site) में चला जाता है।
    • E-साइट से खाली tRNA राइबोसोम से बाहर निकल जाता है।इस स्थानांतरण के बाद, A-साइट अगले आने वाले अमीनोएसिल-tRNA के लिए खाली हो जाती है, और चक्र दोहराया जाता है।

यह चक्रीय प्रक्रिया तब तक जारी रहती है जब तक कि राइबोसोम एक समापन कोडॉन तक नहीं पहुंच जाता।

स्रोत: विकिमीडिया कॉमन्स (ओपनस्टैक्स कॉलेज द्वारा रूपांतरित)


3. समापन (Termination)

अनुवादन

अनुवादन प्रक्रिया तब समाप्त होती है जब राइबोसोम एक विशेष “स्टॉप सिग्नल” का सामना करता है।

  • समापन कोडॉन की पहचान: जब राइबोसोम mRNA पर एक समापन कोडॉन (UAA, UAG, या UGA) पर पहुंचता है, तो कोई भी tRNA इस कोडॉन को पहचान नहीं सकता है क्योंकि इनके लिए कोई पूरक एंटीकोडॉन वाला tRNA मौजूद नहीं होता है।
  • रिलीज़ कारक का जुड़ना (Binding of Release Factors): इन समापन कोडॉनों को tRNA द्वारा नहीं, बल्कि विशिष्ट प्रोटीन जिन्हें रिलीज़ कारक (Release Factors – RFs) कहा जाता है, द्वारा पहचाना जाता है। ये रिलीज़ कारक A-साइट से जुड़ते हैं।
  • पॉलीपेप्टाइड का विमोचन: रिलीज़ कारक P-साइट में अंतिम tRNA और नव-संश्लेषित पॉलीपेप्टाइड श्रृंखला के बीच के बंधन को तोड़ने का कारण बनते हैं। यह एक जल-अपघटन प्रतिक्रिया है जो पॉलीपेप्टाइड श्रृंखला को राइबोसोम से मुक्त कर देती है।
  • राइबोसोम का विघटन: पॉलीपेप्टाइड श्रृंखला के मुक्त होने के बाद, राइबोसोम के सबयूनिट (छोटा और बड़ा), mRNA अणु, और tRNA अणु अलग हो जाते हैं। ये घटक फिर एक और अनुवादन चक्र के लिए स्वतंत्र रूप से उपलब्ध होते हैं।

स्रोत: विकिमीडिया कॉमन्स (ओपनस्टैक्स कॉलेज द्वारा रूपांतरित)


अनुवादन का महत्व और आगे की दिशाएँ

अनुवादन जीवन के लिए एक मौलिक प्रक्रिया है क्योंकि यह आनुवंशिक जानकारी को कार्यात्मक अणुओं – प्रोटीन में परिवर्तित करता है। प्रोटीन लगभग सभी सेलुलर कार्यों को निष्पादित करते हैं: वे एंजाइम के रूप में चयापचय प्रतिक्रियाओं को उत्प्रेरित करते हैं, कोशिकाओं की संरचना बनाते हैं, पदार्थों का परिवहन करते हैं, सेलुलर संकेतों को प्रसारित करते हैं, प्रतिरक्षा प्रतिक्रियाओं में भाग लेते हैं, और गति प्रदान करते हैं। अनुवादन में कोई भी त्रुटि अक्सर दोषपूर्ण प्रोटीन का उत्पादन करती है, जो कोशिकाओं के सामान्य कामकाज को बाधित कर सकती है और विभिन्न प्रकार की बीमारियों का कारण बन सकती है, जिसमें कैंसर और सिस्टिक फाइब्रोसिस जैसे आनुवंशिक विकार शामिल हैं।

आधुनिक जीव विज्ञान और चिकित्सा में प्रोटीन संश्लेषण के तंत्र को समझना महत्वपूर्ण है। यह एंटीबायोटिक दवाओं के विकास के लिए एक लक्ष्य प्रदान करता है (जो अक्सर बैक्टीरियल राइबोसोम को लक्षित करके काम करते हैं) और नई प्रोटीन-आधारित दवाओं, जैसे कि इंसुलिन या वृद्धि हार्मोन, के उत्पादन के लिए आवश्यक है। CRISPR-Cas9 जैसी जीन संपादन तकनीकों में भी प्रोटीन संश्लेषण के सिद्धांतों का उपयोग होता है।

भविष्य में, अनुवादन के विनियमन और इसकी जटिलताओं को समझना हमें कई बीमारियों के लिए उपन्यास चिकित्सीय रणनीतियों को विकसित करने में सक्षम बनाएगा। राइबोसोम की संरचना में सूक्ष्म अंतर, tRNA की भूमिका, और विभिन्न कारकों की परस्पर क्रिया पर चल रहे शोध प्रोटीन संश्लेषण की इस अविश्वसनीय मशीनरी की हमारी समझ को और गहरा करते रहेंगे।

Q1: अनुवादन (Translation) क्या है?

अनुवादन वह मौलिक जैविक प्रक्रिया है जहाँ मैसेंजर RNA (mRNA) अणु में निहित आनुवंशिक जानकारी का उपयोग करके एक प्रोटीन का संश्लेषण किया जाता है। यह DNA से RNA में अनुलेखन (Transcription) के बाद होता है, और यह कोशिका के अंदर प्रोटीन बनाने का अंतिम चरण है।

Q2: अनुवादन कोशिका के किस हिस्से में होता है?

अनुवादन मुख्य रूप से कोशिका द्रव्य (Cytoplasm) में मौजूद राइबोसोम (Ribosomes) पर होता है। यूकैरियोटिक कोशिकाओं में, राइबोसोम या तो मुक्त हो सकते हैं या एंडोप्लाज्मिक रेटिकुलम (Endoplasmic Reticulum) से जुड़े हो सकते हैं।

Q3: आनुवंशिक कूट (Genetic Code) क्या है?

आनुवंशिक कूट नियमों का वह समूह है जो mRNA पर न्यूक्लियोटाइड अनुक्रमों को प्रोटीन में अमीनो एसिड अनुक्रमों से जोड़ता है। यह तीन न्यूक्लियोटाइड (कोडॉन) के समूहों में पढ़ा जाता है, जहाँ प्रत्येक कोडॉन एक विशिष्ट अमीनो एसिड को कोड करता है। यह कूट लगभग सभी जीवित जीवों में सार्वभौमिक होता है।

Q4: कोडॉन (Codon) क्या है और यह क्यों महत्वपूर्ण है?

एक कोडॉन mRNA अणु पर तीन लगातार न्यूक्लियोटाइड का एक अनुक्रम है। यह अनुवादन के दौरान एक विशिष्ट अमीनो एसिड (या एक समापन संकेत) को निर्दिष्ट करता है। कोडॉन का सही क्रम ही प्रोटीन के सही अमीनो एसिड अनुक्रम और उसके कार्य को निर्धारित करता है।


संदर्भ (References)

  1. Alberts, B., Johnson, A., Lewis, J., Raff, M., Roberts, K., & Walter, P. (2014). Molecular Biology of the Cell (6th ed.). Garland Science.
  2. Lodish, H., Berk, A., Kaiser, C. A., Krieger, M., Bretscher, A., Ploegh, H., & Amon, A. (2016). Molecular Cell Biology (8th ed.). W. H. Freeman.
  3. Watson, J. D., Baker, T. A., Bell, S. P., Gann, A., Levine, M., & Losick, R. (2013). Molecular Biology of the Gene (7th ed.). Pearson.
  4. PDB-101. (n.d.). Translation: From mRNA to Protein. Retrieved from https://pdb101.rcsb.org/motm/251 (शैक्षणिक और अनुसंधान उद्देश्यों के लिए एक सामान्य संदर्भ)।

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By विक्रम प्रताप

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